नादान पंछी की तरह… कभी इस डाल, तो कभी उस डाल पे ठिकाना ढूढ़ते रहे…
अपनों की ख़ुशी के लिए … न जाने कितने कसम खुद से किये, और खुद को जोड़ते रहे…
अपने पे हमेशा गूरर था… के सब अपने है…
जब वक़्त आया… तो सब ने अपने घोंसले चुने।।
और इस नादान को डाल पे रहने दिया…
खुद सब अपने घोंसले पे गूरर करते रहे।।
नादान पंछी की तरह… कभी इस डाल तो कभी उस डाल पे ठिकाना ढूढ़ते रहे!!