अपने अंदर तूफ़ान लिए घूमते है…
न जाने कितने सवाल लिए घुमते है!!
तजुर्बा कहता है… खामोश रहने को…
दिल कहता है… जरा आवाज देने को!!
सवालों के तूफ़ान… कभी अपना बहाव रोकते नहीं…
दिल ही है, जो हर बार जवाब को छुपा रखता है…
कहीं कोने में… संभाले रखता है!!
अपने अंदर तूफ़ान लिए घूमते है
न जाने कितने सवाल लिए घुमते है।।
ये कैसी बेचैनी है…
ये कैसा वहम लिए घूम रहे है!!
सोचते कुछ है … होता कुछ है…
ये कैसी बेचैनी लिए घूम रहे है।।
कुछ पाने की कोशीश… कुछ खोने का डर…
मुश्किलों को जीतने की कोशिश… सपनों को पाने की आरजू…
ये कैसी उम्मीद लिए धूम रहे है!!
आसान नहीं है!!
पर अपने अंदर उम्मीद वाली ज़िन्दगी लिए धूम रहे है!!