वो ज़िक्र ही क्या जिसमे तुम न हो…
वो फ़िक्र क्या जिसमे तुम्हारी फिक्र न हो ।।
वो प्यार क्या जिसमे तुम न हो …
वो बात क्या जिसमे तुम्हारी बात न हो।।
ये पूछे के …ऐसा क्या है जिसमे तुम नहीं हो…
और ये शर्त हम मान ले के तुम नहीं हो।।
खामोश रहते है मगर आवाज़ दिल की हमेशा तुमसे ही जा मिलती है…
क्या कहे हम …बस जिक्र तुम्हारा ही हमेशा दिल से करती है।।
आवाज़ जब सुन लेते है कभी किसी हवा की …
तो ऐसा लगता है जैसे …चुपके से किसी ने कुछ कहा हो !!
कुछ कहते हुए हवा रुक जब जाती है …
तो लगता है मेरी आवाज सुनने को इंतज़ार कर रही हो !!
फूल की खुशबू …बारिश का पानी…बाँसुरी की आवाज़…गाने के शब्द …
जब मिलते है मुझसे ऐसा लगता है जैसे साथ चलते है !!
आरज़ू है बस अब इतनी सी कुछ साथ हम युहि रह लेते है !!
खवाइश के बंधन अब बोझ लगने लगे है …
चलो अंधरे में गुम हो लेते है …
कहीं मुझमे ही सिमट के रह जाते है … चलो युहि रह लेते है ।।
कुछ सच के साथ अपने हो लेते है …
ज़िक्र करते रहे जब… फिक्र थोड़ी सी अपनी होने देते है ।।
रक्षा बंधन भाई बहन का त्योहार सबसे अनोखा है.
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