Jab Chand ko dekh rahe the!!


जब चाँद को देख रहे थे…
तो लगा जैसे खुद को देख रहे थे।।

अँधेरे में चमक इतनी खूबसूरत थी…
के लगा खुद को आईने में देख रहे थे !

थोड़ी तो दाग दिखी चाँद में …
लगा जैसे तजुर्बा बयान कर रही थी…
न जाने कितने दर्द लिए मुश्कुरा रही थी !

कहीं हमारी तरह ही खुद को दर्द में लपेटकर…
अपने सिर्फ उजाले दिखा रही थी !

काले बादल में सितारों के साथ…खूब बातें कर रही थी…
सितारों को देख …हमें भी दोस्तों की याद आ रही थी !

चमकते सितारों की तरह, हमारी ऑंखे चमक रही थी…
यादें बुन रही थी और बातें गुनगुना रही थी !

चाँद को देख समझ आयी एक बात –
चाँद की खूबसूरती आँखों से नहीं…दिल से दिखती है…
और इंसान की खूबसूरती दिल से होती है ।।

चाँद से बातें तो रोज़ होती हैं –
इज़हार चाँद से ..चाँद के साथ ..प्यार और तकरार की बात…
इंतज़ार की बात …करीब आने की बात …दूर जाने की बात…
कुछ है कुछ और पाने की बात … ख़ुशी और गम की बात…
मेरी और तुम्हारी बात …
कितना कुछ है उस चाँद के साथ …..!!

वक़्त के साथ सब कुछ बदल रहा है …
ये सोच के दिल बस ….तेरे साथ हर लम्हा गुज़ार रहा है…
ईद का चाँद हो या करवा चौथ का …बस चाँद का इंतज़ार हमेशा दिल से होता है।।

इसलिए शायद… हम चाँद के करीब है…
इंतज़ार भी करते है , और रात की खामोशी में सुकून से, साथ रहते है…
चाँद की तरह बस दूसरो को खुश देखकर खुश होते है ।।

जब चाँद ढलने लगता है तो बहुत कुछ कहता है –
अपने को ऐसा बना के रखना…के आपको लोग हमेशा देखना चाहे…
इंतज़ार ही सही, पर आपको देखने के लिए हमेशा वक़्त का इंतज़ार करे !!

पूरा या आधा चाँद …आकाश की खूबसूरती चाँद से होती है…
रात में सही …कभी आँखे बंद में…कभी खुली में …
चाँद हमारे साथ …हमारे पास होता है।।

जब चाँद को देख रहे थे…
तो लगा खुद को देख रहे थे !
!