बड़ा शोर करता है ये रात आजकल…
दिन में आजकल वक़्त थोड़ा मिलता है !!
न जाने कौन – कौन सी यादों में सिमटा रहता है…
पर जब भी मिलता है –
किसी न किसी वक़्त से मिला देता है।।
शोर में खुद को आज़ाद रखना आसान होता है…
ख़ामोशी में खुद को समेटना मुश्किल !!
ख़ामोशी तो सच बयान कर जाती है…
हर बार वो खुद से मिला जाती है !!
यादों की शोर में वक़्त रूठा सा मिलता है…
अपनी ही फितुर में खोया सा रहता है !!
आँसू नमकीन है …
पर दिल हर बार मीठा कुछ माँगता है !!
दिल उदास रहता है…
हर वक़्त ख़ुशी की तलाश करता है !!
वक़्त का ऐसा है –
के हर बार नयी पहेली सुलझाने के लिए हमें मजबूर करता है ।।
वक़्त को रोक भी लेते है…
थोड़ा मुस्कुरा भी लेते है…
थोड़ा गुनगुना भी लेते है …
थोड़ा नाराज़गी भी जताते है !!
पर ये वक़्त ही है जो –
हर वक़्त कुछ कहते हुए …
सुनते हुए …कुछ युहि साथ गुज़र जाता है!!
रात वक़्त को समझाने लगता है…
खामोशी मे खुद को पाने लगता है !!