सुबह-सुबह जब अलार्म बजता है
लगता है…
वक़्त कहीं थोड़ी देर नींद में खो जाए
और हम थोड़ी देर और सो जाए।।
सुबह की वो भाग दौड़
चाय की वो कप
और वो अख़बार की जगह मोबाईल पे दुनिया।।
कुछ बदला है –
हम वो ही देखते है जिससे दिन अच्छा बीते
हम वो ही सुनते है जिसे सुनकर अच्छा लगे
आजकल,
हर रूम में एक कंपनी चलती है
कहीं ऑफिस तो कहीं स्कूल चलती है।।
बस एक ही कोना है जहाँ फरमाइश चलती है…
अलग सी होती है जगह घर में खुशबू हर दिन नयी होती है
वो किचन है!!
जहाँ हर रोज़ कुछ नया दिखता है।।
रंग और स्वाद… पर वो बर्तन के ढेर… वो घर साफ़ करना…
थकावट है,
पर कुछ है जो फिर भी अच्छा लगता है…
अपनो की मुस्कुराहट!!
️इतना सा है के अब फिर से गर्म खाने लगे है
चाय के वक़्त… साथ चाय पीने लगे है!!
चाय के वक़्त… चाय में मीठी यादें डुबोने लगे है!!
दरवाज़े और डोरबेल की आवाज़ अब इंतज़ार नहीं करती
क्योंकि अब घर में ही सब रहने लगे है!
पुराने दिन की तरह अब घर में लोग बातें करने लगे है
बच्चे… बच्चे जैसे दिखने लगे है
उनको थोड़ा… हम वक़्त देने लगे है…
कुछ खेल खेलने लगे है!!
नज़दीकियां रिश्तों में बढ़ने लगी है…
लोग एक दुसरे से हाल चाल पूछने लगे है
लोग Google meet / whatsapp पे हर दिन मिलने लगे हैं!!
पुराने दिन की बात भी करने लगे
और मन किया तो गाने गुनगुनाने लगे है
पुरानी यादे छेड़ने लगे है… फिर से कुछ पल जीने लगें है!!
वक़्त पहले भी था… आज भी है…
जानते नहीं कब तक रहेंगा…
बस ज़िन्दगी को पल में बदल दिया है… तो वक़्त ज्यादा दिखने लगा है ।।
शिकायते कम
और ज़िन्दगी को जीने लगें है!
कुछ डर में ही सही
पर जो है उसकी कदर करने लगें है!
कुछ बदला है
और हम बदलाव को जीने लगे हैं।।
कुछ बदला है –
सोचा नही था कभी ऐसे भी दिन होंगे
और हम ज़िन्दगी को ऐसै भी जीने लगेंगे!!
वक़्त पहले भी था… आज भी है
जानते नहीं कब तक रहेगा!!